हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है, व्रत कथा, तिथि, पूजा विधि व मुहूर्त | Hariyali Teej Kyu Mmanaya Jata Hai

हाय दोस्तों आप सब कैसे है हमे उम्मीद है की आप सब बहुत ही मस्ती है ! क्यों की हरियाली तीज का त्यौहार जो है तो आज बात करेंगे ! हरियाली तीज क्यों मनाया जाता है ! और भी बहुत कुछ तो आप इस लेख के अंत तक बने रहे है ! भारत एक यैसा देश है ! जहा पे अगर देखा जाये तो रोज कोई न कोई त्योहार रहता ही है। चाहे किसी भी धर्म का हो या किसी भी जाती का हो ! हम सब एक दूसरे से है! और सारे धर्मो का सम्मान करते है यहां हर छोटे-बड़े त्योहारो में बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। हरियाली तीज भी उन सभी प्रमुख त्योहारों में से एक है जो हर साल मनाया जाता है। हरियाली तीज का त्योहार सावन महीने के प्रमुख त्योहारों में से एक है!

सावन की हरियाली तीज का त्योहार हर शादीशुदा महिला के लिए बहुत महत्व रखता है। हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है और उनके सुहाग के लिए प्रार्थना की जाती है !

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हरियाली तीज के दिन लड़कियां भी निर्जला व्रत रखती हैं और पूरा श्रृंगार करती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही माता पार्वती भगवान शिव को पवित्र विवाह के बंधन में बंधी थीं। इसका विशेष महत्व माना जाता है.

शादीशुदा लड़कियों के अलावा जो कुंवारी लड़कियां सावन में पड़ने वाली हरियाली तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, उन्हें जो चाहिए वो मिल जाता है !

आज हम इस आर्टिकल में हरियाली तीज 2023 के बारे में विस्तार से जानेंगे। तीज से जुड़ी जानकारी के लिए आप भी इस लेख के अंत तक हमारे साथ बने रहें।

Hariyali Teej Kyu Mmanaya Jata Hai
Hariyali Teej Kyu Mmanaya Jata Hai

हरियाली तीज क्या है?

हरियाली तीज सावन महीना में बडे धूम धाम से मनाई जाती है। सावन माह को गौरी शिव की आराधना का माह कहा जाता है। हरियाली तीज सावन महीना में आने वाले त्योहारों में एक महत्पूर्ण है। इस दिन को विवाहित महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। सावन महीना में वर्षा ऋतु होती है, जिस बर्षा के कारण हर जगह हरियाली होती है, इसलिए इसे हरियाली तीज के व्रत के नाम दिया गया है !

दरअसल हरियाली तीज का त्योहार माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह के पवित्र बंधन का प्रतीक है, जिस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था !

हरियाली तीज के अलावा भारत में कजरी तीज और हरितालिका तीज भी मनाई जाती हैं, हालांकि ये दोनों तीज सावन के महीने में नहीं बल्कि भाद्रपद के महीने में आती हैं।

हरियाली तीज कब मनाई जाती है?

हरियाली तीज हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। श्रावण मास में इस तीज पड़ने के कारण इस तीज को श्रावणी तीज भी कहा जाता है।

आपको यह भी बता दें कि हरियाली तीज के साथ-साथ कजरी तीज और हरितालिका तीज के त्योहार भी पूरे साल आते हैं, हालांकि ये दोनों त्योहार भाद्रपद माह में हरियाली तीज के बाद मनाए जाते हैं।

कई बार यैसा होता है की हरियाली तीज और हरितालिका तीज को लेकर बहुत से लोग असमंजस में रहते हैं, हालांकि इन दोनों तीज त्योहारों का अपना अलग-अलग महत्व होता है। आइए आपको हरियाली तीज और हरितालिका तीज के बीच कुछ अंतर बताते हैं।

हरितालिका तीज और हरियाली तीज में क्या अंतर है?

आपको बता दें कि हरियाली तीज सावन के महीने में मनाई जाती है जबकि हरितालिका तीज सावन के बाद आने वाले भाद्रपद महीने में मनाई जाती है. हरियाली तीज जहां श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, वहीं हरितालिका तीज हरियाली तीज के एक महीने बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।

हरियाली तीज के दिन कहा जाता है कि भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था, हरितालिका तीज के दिन पार्वती जी ने पूरे दिन भगवान शिव का श्रृंगार किया था, इसलिए इन दोनों दिनों का अपना अलग ही महत्व है.

हरियाली तीज पर हरा रंग खास क्यों?

हरियाली तीज सावन के महीना में मनाया जाता है ! यह बारिश का महीना है. बारिश के कारण चारों तरफ हरा-भरा नजारा दिखता है, ग्रीष्म ऋतु के तुरंत बाद यह ऋतु मन को शांति देने वाली और सुख देने वाली होती है !

हरियाली की छटा का मतलब है कि हर रंग एक तरह से श्रृंगार का प्रतीक भी है और श्रृंगार स्नेह का प्रतीक है, इसलिए हरियाली तीज का त्योहार पति-पत्नी के पवित्र बंधन को समर्पित करके मनाया जाता है। स्नेह।

ऐसा माना जाता है कि हरा रंग भगवान शिव का पसंदीदा रंग भी है और साथ ही हरा रंग बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। हरियाली तीज के दिन हरे वस्त्र पहनने से बुध ग्रह मजबूत होता है।

हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है? Hariyali Teej Kyu Mmanaya Jata Hai

भारत में हरियाली तीज का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए महिलाये रखती है।

यह पर्व भोलेनाथ और पार्वती के मिलन की खुशी में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि आज ही के दिन भोलेनाथ जी ने माता पार्वती की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर माता पार्वती से विवाह किया था।

ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था, इसलिए इस तिथि को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है।

हरियाली तीज विवाहित लड़कियों और एकल महिलाओं के लिए सौभाग्य का दिन है। कहा जाता है कि इस दिन जो कुंवारी महिलाएं व्रत रखकर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं उन्हें मनचाहा वर मिलता है।

जो विवाहित लड़कियां और महिलाएं इस दिन शिव गौरी की पूजा करती हैं उन्हें निर्दिष्ट फल की प्राप्ति होती है। जहां शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं तो वहीं अविवाहित महिलाएं भविष्य में मनचाहे वर के लिए प्रार्थना करती हैं।

हरियाली तीज की पूजा विधि

हरियाली तीज व्रत राजस्थान मारवाड़ी समुदाय द्वारा अधिक मनाया जाता है। आइए जानते हैं हरियाली तीज की पूजा विधि के बारे में:-

इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हरियाली तीज व्रत के दिन सभी महिलाएं सोलह गीत गाती हैं। पूरे दिन व्रत रखकर रात के समय पूरे विधि-विधान से मां पार्वती की पूजा की जाती है। फिर अगले दिन सुबह देवी गौरी की पूजा करके यह व्रत खोला जाता है।

माता पार्वती को तीज माता के नाम से भी सम्बोधित किया जा सकता है। पहली तीज पर सास नई बहू को संपूर्ण श्रृंगार का सामान देती है, जिसमें कपड़े, चूड़ियाँ, बिंदी, आभूषण आदि शामिल होते हैं!

Faq – Hariyali Teej Kyu Mmanaya Jata Hai

Q1. तीज क्यों मनाया जाता है?

भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है और यह दिव्य जोड़े को समर्पित है !

Q2. अविवाहित लड़कियां तीज क्यों रखती हैं?

अविवाहित लड़कियों द्वारा एक अच्छे पति का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है!

Q3. क्या तीज के व्रत में पानी पी सकते हैं?

जिन लोगों ने निर्जला व्रत का विकल्प चुना है, उन्हें पानी का सेवन नहीं करना चाहिए 

2 thoughts on “हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है, व्रत कथा, तिथि, पूजा विधि व मुहूर्त | Hariyali Teej Kyu Mmanaya Jata Hai”

  1. Teej ke mahatav ke sath sawan aur bhado ki tratiya ko hi manate hain ,suhag ka pratik,sath hi manchahi kamna ye sari upyogi jankariyan mili
    SDhanyawad Anjana ji

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